इस्लाम का अर्थ

#इस्लाम --

जैसा कि कल आप सभी से पूछा था कि क्या मुझे इस्लाम पे लिखना चाहिए , सभी स्वजनों का समर्थन मिला तो वादे के मुताबिक पहली किस्त --

मुझे 1 फर्जी id बना के कोई दे दो क्योंकि इस id की कल से रिपोर्टिंग चल रही है कोई भी मुझे एक id दे दो अल्लाह के नाम पे हहहहहहह ---

#आज_सबसे_पहले इस्लाम शब्द को जानते है  --

आप किसी मुस्लिम से बोलेंगे की मुझे इस्लाम का अर्थ बताओ तो वो बोलेगा इस्लाम का अर्थ होता है शांति या खुद को अल्लाह को समर्पित करना या समर्पण  , तो क्या वाकई इस्लाम का अर्थ शांति और समर्पण है आइये इसे देखते है --

लेकिन इस्लाम का वास्तविक अर्थ शांति नहीं बल्कि आत्म समर्पण है न कि समर्पण और आत्म समर्पण सिर्फ डर से किया जाता है ."Islam" does not mean "peace" but "submission"or "surender"जैसा कि कहा जाता है ("السلام" ولكن "تقديم"استسل "शांति" लेकिन "प्रस्तुत" आत्मसमर्पण )

इस्लाम शब्द अरबी के तीन अक्षरों (root sīn-lām-mīm (SLM [ س ل م ) से बना है .और कुरान में कई जगह इस्लाम का अर्थ आत्मसमर्पण ही किया गया है ,

#उदाहरण --

सूरा तौबा 9 :29 में इसका अर्थ-
To surrender -اسلام=Submission बताया है .इसी तरह सूरा आले इमरान 3 :83 में इसका अर्थ अल्लाह का धर्म और सूरा आले इमरान 3 :19 में भी वही अर्थ"islam is surrender to allah 's will استسلاما=To surrender " दिया है .इस्लाम का अर्थ शांति फैलाना कदापि नहीं है .इस शब्द का प्रयोग लोगों को धमकी देकर आत्मसमर्पण (surrender ) करने के लिए किया जाता रहा है ।।

#क़ुरान_के_बाद अब इन हदीसो को देखे --

"रसूल ने यहूदियों से कहा कि यह सारी जमीन मुसलमानों की है .इसलिए तुम इसे खाली कर दो .और इस्लाम कबूल करो .और खुद को अल्लाह के रसूल के सामने समर्पित कर दो " बुखारी -जिल्द 9 किताब 92 हदीस 447

"एक औरत ने रसूल से पूछा कि इस्लाम क्या है ,तो रसूल ने कहा ,सिर्फ अल्लाह की इबादत करना , रोजा रखना ,जकात देना और खुद को अल्लाह की मर्जी के हवाले कर देना "बुखारी -जिल्द 1 किताब 1 हदीस 47

"रसूल ने Byzantine ईसाई शाशक "हरकल Harcaleius को सन्देश भेजा ,जिसमे कहा कि मैं अल्लाह का रसूल मुहम्मद तुम्हें चेतावनी देता हूँ ,कि अगर तुम अपनी जान बचाना चाहते हो ,तो समर्पण कर दो .और इस्लाम स्वीकार कर लो "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 191

#विशेष -- जब कोई हिन्दू या गैर इस्लामिक क़ुरान पढ़ता है तो उसे कई आयतों का अर्थ प्रचलित अर्थ या सामान्य अर्थ बताया जाता है लेकिन जब कोई इस्लामिक वही क़ुरान पढ़ता है तो उसे उसका सही अर्थ बताया जाता है ।।
मतलब क़ुरान की आयतों को हम साधारणतया 2 भागों में बाटा जा सकता है इस्लामिक भाषा मे इसे --

#मुहकम (محكم‎) - यह वे आयतें हैं जिनका अर्थ सीधा-साधा है और इनपर कोई बहस नहीं।

#मुतशाबेह (متشابه‎) - यह वे आयतें हैं जिनके एक से अधिक भिन्न तात्पर्य निकाले जा सकते हैं। गैर इस्लामिक के लिए शांति और इस्लामी के लिए जिहाद
उदाहरण --
इस्लामिक के लिए --
"हे ईमान वालो तुम अपने आसपास के गैर मुस्लिमों से युद्ध करते रहो "सूरा तौबा 9 :123
गैर इस्लामिक के लिए --
"हे ईमान वालो जो मुशरिक है उनका प्रतिरोध करते रहो ।।

हिन्दुओ को कुछ करना नही बस इन्ही मुतशाबेह आयतों का सही अर्थ सभी मे प्रचारित करना है इस्लाम की सच्चाई सबके सामने होगी ।।

#नमाज_एक_संस्कृत_शब्द है जिसका क़ुरान हदीस और पूरे इस्लाम मे कही जिक्र है ही नही क्रमशः

Comments

  1. इस्लाम इश्वर का बनाया हुआ धर्म है इसलिए यह इश्वरीय धर्म है जिस पर इंसानो को भी चलने का आदेश दिया गया है शांति उसे कहते है जो इश्वर आदेश दे और जो उसके विपरीत जाए वह अशांति है

    ReplyDelete
  2. ISLAAM BAHOOT SARAL HAI.
    LEKIN KUCH LOG ISLAM KO KURAAN KI AAYTO KO EK JAGHA SE DUSRE JAGHA FIT KARKE DIKHATE HAI .
    KANOON SABSE BEHTAR ALLAH KA HEE HAI.
    SABKE LIYE.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Dayand antarvasna

#सत्यार्थप्रकाश_का_असत्य " भाग 2 "

।।सृष्टि बने कितने वर्ष हुये।।