असली_बुद्ध_कौन ??
मित्रो बुद्ध मत वाले सिद्धार्थ गौतम को बुद्ध कहते है
जबकि जैन ग्रंथो के अनुसार महावीर
स्वामी और उनके शिष्य गणधर गौतम बुद्ध है इस
सम्बन्ध में कुछ प्रमाण :-
बुद्ध मत के बुद्ध का नाम गौतम है लेकिन जैन आदिपुराण में
आया है :-"गौतमदागतो देव: स्वर्गाग्रद गौतमो मत ,तेन
प्रोक्तमधीनस्त्व
चासो गौतामश्रुति ""(दितीय पर्व श्लोक ५३ )
अर्थात महावीर स्वामी १६ वे स्वर्ग
(मुस्लिमो के ७ आकाश की तरह जैनों में
भी १६-१७ स्वर्ग होते है ) से
अवतार्तीत हुए इसलिए उन्हें गौतम कहते है और
गौतम की वाणी सुनने से आप
का भी नाम गौतम है ,,,
...
महावीर स्वामी के शिष्य गणधर बुद्ध
है :-
आदिनाथ पुराण में आया है :-" चतुर्भिश्रचमलेर्बोधैरबुद्धतस्व
जगद यत:| प्रज्ञापारमित बुद्ध त्वा निराहुरतो बुधा:
(दितीय पर्व श्लोक ५५ )
है देव आपने ४ निर्मल ज्ञानो (४ आर्य सत्य ) के द्वारा संसार
को जान लिया है तथा तथा आप बूधि के पार को प्राप्त हुए
इसलिए
संसार आपको बुद्ध कहता है ...
यहा दो बातें स्पष्ट है महावीर
भी गौतम है और गणधर भी गौतम और
सिद्धार्थ भी अत: तीनो बुद्ध है ...
लेकिन बुद्ध
की दावेदारी यही ख़त्म
नही हुई एक ओर बुद्ध हमारे सामने है :-
दिगंबर जैन के एक और ग्रन्थ धर्म
परीक्षा अमितगत (जैन
हितेषी पुस्तकालय कर्नाटक द्वारा प्रसारित पेज
संख्या २५९ की पांति २४ पर आया है -
रुष्टश्रवारनाथस्य तपस्वीमोगलायन:|
शिष्य: श्रीपार्श्वनाथस्य विदधेबुद्धदर्शनम ||
पार्श्वनाथ के तपस्वी चेले वीरनाथ ने
रुष्ट हो कर बुद्ध धर्म स्थापित किया |
इसी तरह लगभग कई बातें सिद्धार्थ और
महावीर की सामान है ..
(१) बुद्ध ने खीर खा कर ध्यान प्राप्त
किया महावीर ने भी
(२) सिद्धार्थ बिम्बसार के बाग़ में ठहरा था महावीर
भी ..
(३) महवीर का चेला अग्निहोत्र ब्राह्मण
बताया गया है बुद्ध का एक भिक्षु भी अग्निहोत्र
ब्राह्मण बताया है
(४) माहवीर को सांप ने काटा तो दूध निकला सिद्धार्थ
को काटा तो भी ऐसा ही हुआ |
(५) चन्दन
वाली नामी स्त्री ने
मंगा वती साध्वी को इसलिए
डाटा की को सारीरात महावीर
के संघ में रही ...ललित विस्तार अनुसार
उसी नामी स्त्री ने
मंगावती को इसलिए
डाटा की वो सारी रात सिद्धार्थ के संघ में
रही |
अब इनसे भी स्पष्ट है
की महावीर भी बुद्ध सिद्ध
होते है ..
इन सब बातो से निम्न सवाल उठते है :-
(१) महावीर ,गौतम गणधर,वीरनाथ,सिद्धार्थ में से असली बुद्ध कौन था ?
(२) नीचे के ५ बिन्दुओ से लगता है कि बुद्ध कोई
था ही नही बल्कि कुछ लोगो द्वारा बनाई
गयी कहानी है जो अलग अलग
श्रमण ने अपने अपने हिसाब से बना इसी कारण एक
जैसी कहानी दोनों में
मिली मतलब किसी ने
किसी की नक़ल की है ...
(३) पार्श्वनाथ का काल सिद्धार्थ से पहले का है और जैन
ग्रन्थ अनुसार वीरनाथ बुद्ध था जो सिद्धार्थ से पहले
का है तो क्या सिद्धार्थ ने साख्य ,चार्वाक दर्शन के
अलावा जैन
मुनियों की बातें भी चुराई
थी ,,,और जो जैनों का बुद्ध टाइटल था उसे
भी चुरा लिया हो ..क्यूंकि सिद्धार्थ के एक गुरु जैन
भी थे जिनका नाम उदक रामपुत्र था
प्रस्तुत प्रमाणो से यही लगता है कि बुद्ध नाम कोई प्राणी इतिहास मे नही हुआ और ये काल्पनिक चरित्र. था
दोनों का जन्म एवं प्रचार
क्षेत्र बिहार था, दोनो के धर्म ग्रंथ मे आठ
राजाओ का संन्यास लेने का वर्णन है, कोई
राजा दोनो के यहां संन्यास नही लेगा. एक
समय मे दो तीर्थन्कर ,दो चक्रवर्ती नही होते.
स्वामी दयानंद ने भी इन्हे एक ही व्यक्ति
बताया है. दयानंद जी ने लिखा है,भारत मे इन्हें
महावीर और भारत के बाहर बुद्ध कहते हैं. जैन धर्म
का एक वर्ग कपड़े पहनता है,इसलिए बुद्ध की
चित्र मे कपड़ा पहने दिखते हैं
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