सनातन धर्म पर उठे कुछ सवालों के जवाब अपनी बुद्धि अनुसार उत्तर देने की कोसिस
मलनिवासी मलिन बुद्धि कुतर्कोच्छेदनः
एक बार भँते सुमेधानँद महाराज बोधिसत्व रावण के दहन पर पहुँचे।
खंडनः
अरे रावण तो कटटर शिव भक्त था उसने शिव तांडव स्त्रोत द्वारा शिव की स्तुति की थी अब यदि रावण का पक्ष लेते हो तो छोडो बोधिसत्व का वहम और सत्य सनातन धर्म में लौट आओ।
कार्यक्रम में माईक पर दहन के आयोजक जोर जोर से भोंक रहे थे।रावण दहन बुराई पर अच्छाई की जीत है।असत्य पर सत्य की विजय है।
खंडनः
तो भाई इसमें अनुचित क्या है?रावण का मरना ही जगतोद्धार था।अब भोंकना शब्द आप लोगों की कुत्सित बुद्धि और कुल के व्यवहार को दर्शाता है।
अब आगे चलिये।
सुमेधानंद बोधिसत्व विधवा प्रलाप प्रारंभः
ब्राह्मण से पूछा
श्रवणः हे ब्राह्मण रावण कौंन था
ब्राह्मणः
हे भंते। रावण महान ऋषि पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा ऋषि का पुत्र था ।
भँते श्रवणः उसकी माँ कैकसी मूलनिवासी दलित थी।
ब्राह्मणः कैसी बातें करते हो भँते?कैकसी के पिता श्री माली तथा चाचा सुमाली और माल्यवान ब्राह्मण थे आज भी माली गोत्र के ब्राह्मण उनके वँशज हैं और उनके कर्म असुरों वाले थे।
श्रवणः हे ब्राह्मण राम कौंन थे?
ब्राह्मणः
राम की महिमा तो स्वयं महर्षि वाल्मीकि ने गायी थी।उनके विषय में गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा हैः
उलट नाम जपे जग जाना वाल्मीकि भये ब्रहम समाना।।
सँत कबीरदास जी ने राम नाम की महिमा गायी हैः
हौं तो कूतडा राम का
कबीरा नाम धराऊँ
बँधी प्रेम की जेवडी
जित खेंचत तित जाऊँ।
उनके विषय में नहीं जानते जिनकी भक्ति स्वयं हनुमान के रूप में शिव करते हैं।
भगवान राम रघुकुल वँशी अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र थे।
श्रवणः हे ब्राह्मण!आप लोगों द्वारा राजा रावण का दहन क्यों किया जाता है?
ब्राह्मणः
रावण ने माता सीता का हरण किया था।
श्रवणः हे ब्राह्मण! राजा रावण ने माता सीता का हरण क्यों किया था?
ब्राह्मणः
क्योंकि लक्ष्मण ने रावण की बहन की नाक कान काट कर उसे विकृत बना दिया था।
श्रमण: हे ब्राह्मण! यदि आप राजा होते और कोई आपकी बहन की नाक कान काट देता तो आप क्या करते?
ब्राह्मणः
भंते ये कुतर्क की पराकाष्ठा है जब आपने रामायण पढी है तो इतना ज्ञान तो आपको होंना चाहिए कि शूपर्णखा को लक्ष्मण ने ये दंड क्यों दिया?
राजा और साधारण मनुष्य में अंतर होता हैः
राजा न्यायमूर्ति होता है उसे पहले दोंनों पक्षों की बात सुननी चाहिए। केवल अपने सँबंध की एक तरफा बात नहीं ।ये कोई न्याय नहीं।
उस रावण की तरफदारी जिसने अपनी बहन शूपर्णखा के पति की अनजाने में हत्या कर दी थी तब शूपर्णखा ने रावण का नाश कराने की शपथ ली थी। तब रावण ने उसे वन का राज्य दे दिया और वन में उन्मुक्त घूमने का अधिकार दिया।उस शूपर्णखा ने न जाने कितने ऋषि मुनियों को खा डाला। तब वह घूमते हुये पँचवटी में राम के आश्रम में पहुँची और राम और लक्ष्मण को देखकर कामांध हो गयी और राम के पास पहुंची विवाह प्रस्ताव लेकर।
तब राम ने उसे लक्ष्मण के पास भेज दिया कि मैं तो विवाहित हूँ।लक्ष्मण ने कहा मैं तो सेवक हूँ ।इस प्रकार बार बार एक दूसरे के पास भेजने से शूपर्णखा माता सीता की ओर खाने को झपटी तब राम के इशारे पर लक्ष्मण ने शूपर्णखा ने माता सीता के बचाव में शूपर्णखा की नाक और कान दोंनों काट दिये।
यदि हम रावण की जगह होते तो पहले स्थिति ज्ञात करते क्या है?
श्रवणः हे ब्राह्मण!शिव के धनुष को स्वयंवर में रावण हिला भी ना पाया उसी धनुष को सीता झाडू लगाते समय कोंने में रख देती थी और रावण उस शिव धनुष को हिला भी ना पाया था तो शक्तिशाली कौंन सीता या रावण?
ब्राह्मणः निश्चित रूप से माता सीता तो साक्षात् जगतजननी लक्ष्मी देवी का अवतार थीं तो
रावण भी कम बलशाली नहीं था।
रावण ने अपनी भुजाओं से कैलाश पर्वत को उठाया था। तो वो बलशाली तो कम ना होगा।फिर शिवधनुष को क्यों नहीं उठा पाया?
कारण ये है परशुराम ने शिवधनुष रावण को दिया था जिसे रावण ने भूमि पर रख दिया इसपर परशुराम जी ने उसे शाप दिया कि अब शिवधनुष को रावण उठा नहीं पायेगा रावण वहीं छोडकर चल दिया और सीता माता खेलती हुई वहाँ आई और शिवधनुष को उठाकर लेआयी।तभी राजा जनक ने ये प्रतिज्ञा की थी कि जो शिवधनुष पर प्रत्यंचा चढायेगा उसी से सीता का विवाह होगा।
इसीलिये रावण शिवधनुष उठा नहीं पाया।
श्रवणः हे ब्राह्मण! यदि जब शक्तिशाली सीता थी,तो सीता रावण का अपहरण करेगी या रावण सीता का अपहरण करेगा?
ब्राह्मणः
हे भंते। ऐसा महान कुतर्क की पराकाष्ठा हो गयी।रावण को एक श्राप था वेदवती का जिसके साथ रावण ने जबरदस्ती की थी कि एक स्त्री ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगी तो सीता माता का अपहरण करना ही उसकी मृत्यु का कारण बना।
श्रवणः यदि रावण के पास कोई शक्ति होती तो उसको रावण सीधा स्वयंवर में ही प्रयोग करता और सीता से स्वयंवर रचा लेता।
ब्राह्मणः
इसका उत्तर दिया जा चुका है ।
रावण शापवश धनुष उठा ही नहीं सका।तो वह स्वयंवर जीतता ही कैसे?
श्रवणः
हे ब्राह्मण!रावण को दो शाप थे कि यदि रावण किसी पराई स्त्री को छू लेगा तो उसके दसों सिर भष्ट हो जायेंगे और यदि पराई स्त्री से जबरदस्ती करेगा तो उसका शरीर नष्ट हो जायेगा।
ब्राह्मणः
हे मँदबुद्धि भँते! निश्चय ही तुम्हारी मति भ्रष्ट हो गयी है।
सत्य क्या है सुनोः
जिस सीता को रावण हरके लेगया था वो वास्तविक सीता नहीं बल्कि मायारूपी छाया सीता थीं जिनको रावण हरकर लेगया। वास्तविक माता सीता तो अग्निदेव के साथ प्रस्थान कर गयी थीं। वास्तविक माता सीता को यदि रावण स्पर्श करता तो पलभर में निश्चय ही जलकर भस्म हो जाता।
शाप केवल ये था कि रावण यदि किसी स्त्री की इच्छा के विरूद्ध जबरदस्ती करेगा तो उसका शरीर जलकर भस्म हो जायेगा।
अब रावण ने माया सीता को यदि महल में रखा होता तो रावण के महल के महल जलकर राख हो जाते।इसीलिये रावण ने सीता माता को अशोक वाटिका में रखा था।अब रावण ने एक स्त्री का हरण किया फिर भी दोष स्त्री का। वाह रे नीच बुद्धि।
अब भँते आपका ये कहना कि सीता अपनी इच्छा से गयी थी।
बिना प्रमाण कुछ भी बोल देना ये कुतर्क है यदि रावण से माता सीता प्रेरित होती तो स्वयंवर में ही रावण को प्राप्त करने के लिये प्रार्थना की होती।
बुद्धि कहाँ गयी?बनिये की दुकान पर गिरवी करके आये हो क्या?
श्रवणः हे ब्राह्मण! मान लिया रावण दोषी था तो भी अकेले उसका दहन क्यों?आपके देवी देवता कलंकित होते हुये भी दहन नहीं?
ब्राह्मणः हे भँते! हमारे देवी और देवता कलंकित कैसे हैं?
श्रवणः हे ब्राह्मण! अहिल्या के साथ इंद्र भगवान ने बलात्कार किया था।बलात्कारी इंद्र की पूजा होनी चाहिए या दहन?
ब्राह्मणः भो भंते! इत्यत्वा कुतर्कस्यः पराकाष्ठा भवेत्।
इंद्र भगवान नहीं होते ।भगवान में छह गुण होते हैंः षडैश्वर्य आदि।
दूसरा इंद्र देवताओं के राजा हैं और देवता मनुष्य से एक पदवी ऊपर हैं इसीलिये वँदनीय हैं उनके तीन तत्व होते हैं शरीर में मनुष्य में पँच तत्व।
दूसरा इंद्र एक पद है जो हर मनंवतर में बदलता है।एक बार महिषासुर ने स्वर्ग पर अधिकार जमाकर स्वयं इंद्र पद ग्रहण कर लिया।
राजा नहुष ने भी इंद्र पद ग्रहण किया।अगले मनंवंतर में महाराज बलि अगले इंद्र होंगे। तो ये बताओ किस इंद्र ने ऐसा किया?अब पद का दहन कैसे किया जाये?तत्कालीन इंद्र को दंड भी मिला था। इंद्र की पूजा स्वयं भगवान कृष्ण ने द्वापरयुग में इंद्र की पूजा बँद करायी थी।
श्रवणः हे ब्राह्मण!ब्रह्मा ने अपनी पोती के साथ बलात्कार किया था या नहीं?
ब्राह्मणः आप देखकर आये थे क्या कहाँ पढा ये बताओ?
श्रवणः ऋग्वेद में वर्णन है इस बात का।
ब्राह्मणः प्रथम तो ऋग्वेद में दस मँडल होते हैं ऐसा कारनामा कौंन से मँडल में वर्णित है?भगवान ब्रहमा का शरीर मनुष्य शरीर नहीं बल्कि दिव्य सतोगुणी रूप से बना है।बलात्कार करने के लिये लिंग योनि आदि चाहिए जबकि ब्रह्मा का शरीर सूक्ष्म चैतन्य से है।ये कुतर्क आपका झूठा है।
श्रवणः महाभारतानुसार ऋषि पाराशर ने सत्यवती के साथ बलात्कार किया था या नहीं?
ब्राह्मणः ये असत्य है। वो एक कृत्रिम प्रकार का गर्भाधान था। एक सरोगेट मदर का नमूना था। महर्षि पाराशर ने तपस्या करने जाना था उससे पहले व्यास पदपर अपनी सँतान को देखना चाहते थे अतः उन्होंने सत्यवती के समक्ष प्रस्ताव रखा।तब सत्यवती इस शर्त पर मान गयी कि उसके शरीर में दिव्य गंध उत्पन्न हो।
पराशर ऋषि स्वयं अमैथुनी सृष्टि से उत्पन्न थे तो सँतान प्राप्त करने के लिये उन्हें सँभोग की क्या आवश्यकता थी?ऋषि पाराशर ने मानसिक सँकल्प से अपना दिव्य वीर्य सत्यवती की कोख में स्थापित किया।सत्यवती की योनि अक्षत हो और कौमार्य नष्ट ना हो इसीलिये व्यास ऋषि सत्यवती के गर्भ से सीजेरीयन तरीके से उत्पन्न हुये थे।आज वर्तमान में एक्टर जीतेंद्र के पुत्र तुषार ने बिना विवाह के ही सरोगैसी से पुत्र उत्पन्न किया था।
श्रवणः हे ब्राह्मण भगवान विष्णु ने बिनिहु मुनि की पत्नी की हत्या का घोर पाप किया।उसकी पूजा कैसे?
ब्राह्मणः
बिनिहु मुनि की पत्नी ने धर्म निंदा करके महापाप किया था और जब सीमा पार कर गयी तब उसका वध किया।धर्म निंदक भले कोई भी हो गौवध करने वाला कोई भी वध के योग्य है।
आगे बढिये।
श्रवणः हे ब्राह्मण!विष्णु ने अनैतिक और छल कपट से जलंधर असुर की पत्नी का सतीत्व नष्ट कर डाला।उसकी पूजा होनी चाहिए या दहन?
ब्राह्मणः हे भंते! भगवान विष्णु ने ऐसा माँ भगवती पार्वती के आदेश पर किया क्योंकि उस दुष्ट ने अपनी सती पत्नी वृँदा को दुखीकर माता पार्वती को प्राप्त करने के लिये कैलाश पर आक्रमण किया था और बिना वृँदा का सतीत्व भँग हुये जलंधर मरता नहीं।
भगवान विष्णु ने अपनी माया से वृँदा को स्वप्न में जलंधर का रूप धारण कर वृँदा के समक्ष गये।वास्तव में नहीं वो केवल भ्रमजाल था।फिर भी भगवान विष्णु ने जलंधर वधोपरांत वृँदा का शाप ग्रहण किया और पत्थर के हो गये तबसे आजतक वृँदा यानि तुलसी से शालीग्राम भगवान के रूप में विष्णु का विवाह होता है।तो भाई भ्रमबुद्धि वास्तव में तो ऐसा हुआ ही नहीं ये केवल भ्रमजाल था।
श्रवणः हे ब्राह्मण!राजा नरक की रानियों का हरण करके कृष्ण ने जबरदस्ती विवाह रचाया था या नहीं तो कृष्ण का दहन होना चाहिए या नहीं?
ब्राह्मणः क्यों ना धर्म निंदा कर रहे आपका दहन किया जाये?
ब्राह्मणः
हे मूढमते!नरकासुर ने जबरदस्ती १६०१०८ राजकुमारियों को अपनी बँधक बनाकर रखा था उनकी इच्छा के विरूद्ध। उन राजकुमारियों ने कृष्ण भगवान के पास सहायता के लिये सँदेश भेजा तब कृष्ण भगवान ने उन्हें सहायता का वचन दिया था और नरकासुर को मारकर उन राजकुमारियों को नरकासुर की कैद से स्वतंत्र कराया। परंतु अब उन राजकुमारियों ने कृष्ण भगवान से प्रणय निवेदन किया क्योंकि अब वे ना तो अपने देश में जा सकती थी और ना ही उनसे कोई विवाह करता। तब कृष्ण भगवान ने उन्हें अपनाया।आगे चलो।
श्रवणः हे ब्राह्मण!आपके कृष्ण भगवान ने निर्वस्त्र नारियों की आवरू के साथ खिलवाड़ किया था या नहीं?
ब्राह्मणः हे भँते!उस समय कृष्ण भगवान की आयु केवल आठ वर्ष की थी और उस समय के अनुसार एक आठ वर्ष के बच्चे के मन में कामवासना कैसे आ सकती है?वे सभी गोपियाँ यमुना नदी में निर्वस्त्र होकर स्नान कर रही थीं ऐसा करके उन्होंने वरूण देवता का अपमान किया था। इसीलिये उनके चीर चुराकर उन्हें कृष्ण भगवान ने सबक दिया और उनसे क्षमा मँगवाई।
श्रवणः हे ब्राह्मण!भीष्म ने अंबा, अंबिका और अंबालिका का हरण किया था या नहीं?
ब्राह्मणः भंते! ये सत्य है कि भीष्म ने अंबा, अंबिका और अंबालिका जोकि काशी नरेश की पुत्रियाँ थीं और काशी की कन्यायें हस्तिनापुर के राजवँश में जाती थीं परंतु काशीनरेश ने हस्तिनापुर नरेश विचित्रवीर्य को उन तींनों राजकुमारियों के स्वयंवर में आमंत्रित नहीं किया।तब गँगापुत्र भीष्म ने महाराज विचित्रवीर्य की ओर से उन तींनों राजकुमारियों का हरण किया था अंबा को छोडकर दोंनों राजकुमारियों की अपनी इच्छा से उनको साथ लेकर गये थे। अंबा की इच्छा न होंने पर उन्होंने अंबा को शाल्व नरेश के पास अंबा को भेजा।ऐसा उन्होंने क्षत्रिय परंपरानुसार किया।
भीष्म तो अखंड ब्रहमचारी थे तथापि उनकी पूजा नहीं होती क्योंकि वो अवतारी भगवान नहीं थे। परंतु उनका हम सम्मान करते हैं।
श्रवणः (झल्लाते हुये) हे ब्राह्मण राम के पूर्वज दण्ड ने शुक्राचार्य की पुत्री अरजा के साथ बलात्कार किया था या नहीं?
ब्राह्मणः भंते राजा इक्ष्वाकु के सौ पुत्रों में दण्ड सबसे छोटा और मूर्ख और उद्दण्ड था।महाराज इक्ष्वाकु ने दण्ड को ये जानकर कि इस पर दण्डपात अवश्य होगा अतः उस दण्ड को उसे विन्ध्य और शैवल पर्वत के बीच का राज्य दे दिया और शुक्राचार्य को अपना गुरू बनाया। हे भंते शुक्राचार्य के शाप से तो दण्ड नष्ट हो गया फिर वो राम का पूर्वज कैसे हुआ?
महाराज इक्ष्वाकु के वीर महान पराक्रमी पुत्र भगीरथ के वँशज भगवान राम थे।भगवान राम के पूर्वज महाराज अज उनके पुत्र महाराज दशरथ आदि सब महान राजा थे। दण्ड तो नष्ट हो गया दूसरा उसने असुर मत को अपनाया तो असुर वृत्ति मनुष्य से क्या प्रयोजन?
श्रवणः हे ब्राह्मण! रावण ने सीता को आदर सहित जंगल से महल में ले जाकर रखा राम ने गर्भवती सीता को महल से निकाल कर जंगल में दर दर की ठोकरें खाने के लिये छोडकर महिला जाति का अपमान किया।
ब्राह्मणः
हे भंते। आपकी बात बिलकुल निराधार है। रावण ने चेष्टा की होती महल में सीता ले जाने की तो उसका सम्पूर्ण महल वँश सहित जलकर राख हो जाता तो उसने सीता माता को अशोक वाटिका में रखा और माता सीता को डराने के लिये राक्षसियों के लिये सीता माता के पआस छोड दिया।
माता सीता वन में स्वयं जाना चाहती थी वन में अपने पुत्रों को जन्म देना चाहती थीं।वो चाहती तो अपने पिता के घर भी जा सकती थीं फिर भी वन में ही जाना ठीक समझा।भगवान राम ने फिर प्रजा के लिये ही माता सीता को वन में भिजवाया। वो प्रजावत्स्ल राम थे उन्होंने फिर भी माता सीता का त्याग नहीं किया था यदि त्याग किया होता तो अश्वमेध यज्ञ के समय दूसरा विवाह कर लिया होता माता सीता की मूर्ति ना विराजमान करते।
श्रमणःहे ब्राह्मण!लक्ष्मण ने शूपर्णखा की नाक काटकर समस्त स्त्री जाति का अपमान किया।
ब्राह्मणः भंते! ये आपकी अल्प बुद्धि का परिचय है।
शूपर्णखा के नाक और कान दोंनों काटे थे। वो शूपर्णखा जिसने अपने कुल को धता बताते हुये एक असुराराज से विवाह किया।फिर काम सँतप्त होकर रावण के द्वारा स्वीकृति मिलने पर वन वन में भटक रही थी न जाने कितने ऋषि मुनियों को शूपर्णखा ने खा डाला और वो पँचवटी में श्री राम की पर्णकुटी में सीता को रावण के लिये लेने गयी थी जब उसे पता चला और जब राम को देखा तो राम और लक्ष्मण को पति रूप में पाने की चेष्टा करने लगी और असफल होकर माता सीता पर उसने आक्रमण किया तब श्री राम के इशारे पर शूपर्णखा की लक्ष्मण ने नाक और कान काट दिये।भाई क्या अपने परिवार की रक्षा करना क्या गलत है यदि आपकी भाभी पर कोई स्त्री जानलेवा हमला करे तो आप क्या करोगे?
धिक्कार है आपकी सोच पर।
श्रमणः हे ब्राह्मण!वायु देवता ने राजर्षि कुशनाभ की पुत्रियों के साथ बलात्कार किया था या नहीं?
ब्राह्मणः भंते! वायु देवता ने केवल राजर्षि कुशनाभ की कन्याओं के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा था।बलात्कार नहीं ये बलात्कार जैसी बात आपके दिमाग की उपज है।
उन कन्याओं के शरीर में वायु विकार होंने से उनका शरीर विकृत हो गया था जोकि वायु देवता द्वारा कुशनाभ राजा द्वारा प्रार्थना पर ठीक कर दिया गया था। एक हवा किसी के साथ बलात्कार कैसे कर सकती है ये बताओ
वायु देवता का शरीर मनुष्यों की तरह पँच तत्वों से न होकर तीन तत्वों से बना है उसमें सूक्ष्म शरीर प्रधान है।
अपने सारे कुतर्क कटते देखकर और वहाँ सभी सनातनी रामभक्तों की आँखों में क्रोध की चिंगारी देखकर भँते सुमेधानंद का होश फंते हो गया और वहाँ से चुपचाप खिसियाकर खिसक लिये।
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