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Showing posts from 2017

सती प्रथा का सत्य

सती-प्रथा जैसी कुरीतियाँ हम भारतियों के लिए शर्म की नहीं बल्कि गर्व की बात है..... भारतियों की सती-प्रथा,जाति-प्रथा,मूर्ति-पूजा,छूआछूत,ज्योतिष,तंत्र-मंत्र,रीति-रिवाज आदि परम्पराएँ; जिसे कुरीति,मूर्खता या अंधविश्वास बताकर भारतीयों को अपमानित किया जाता है और भारतीय भी शर्मसार होते रहते हैं इन बातों के लिए।पर मैं अपने देशवासियों को यह बताना चाहूँगा कि ये सारी परम्पराएँ हम भारतीयों के लिए कोई शर्म की बात नहीं बल्कि बहुत ही गर्व करने की बात है........... अरे हमने तो अमृत रखे थे अपने पास,इसे जहर तो आपने बना दिया और अब आप ही हमपर जहर रखने का इल्जाम लगाकर हमें अपमानित कर रहे हैं...! हमारे पूर्वज मूर्ख नहीं थे जो इन सारी चीजों के साथ चलते थे बल्कि मूर्ख वो हैं जो इसे समझ नहीं पाए।उदाहरण के लिए देखिए--सती-प्रथा को भारतीयों की सबसे घृणित परंपरा माना जाता है पर मेरे नजर में यह एक महान,आदरणीय और पूज्यनीय परंपरा है।विदेशियों की इतनी औकात ना तो कभी थी और ना ही अब है कि वो इस महान कार्य(पत्नी का सती होना) को समझ सके। जरा विचार करिए कि जीवन-बीमा(life insurance policy) जो अभी इतना लोकप्रिय है जि...

ईसाई इस्लाम एक

--#छिन्नमस्ता_संस्कृति : #ओरिजिनल_सिन_थ्योरी -- आज से तीन दिन पहले मैंने आप सभी स्वजनों के समक्ष एक प्रश्न रखा था की " क्या मुझे इस्लाम पे लिखना चाहिए "।। आप सभी का जवाब हाँ में था और मैंने लिखा भी और जब मैंने कुछ तथ्यों की तलाश में जब इंटरनेट खंगाला तो समझ मे आया की इस्लाम और ईसाई समुदाय एक ही सिक्के के दो पहलू है और दोनों की एक नीति है -- अपनी महत्वाकांक्षी विस्तारवादी नीति , जहाँ आज इस्लाम आज नंगा हो चुका है उसकी असलियत सब जान चुके है वही ईसाई समुदाय अपना काम बेहद शातिराना ढंग से और चुपके छुपके कर रहा है वो हमेसा हिन्दुओ को कुछ प्रलोभन , चंगाई सभा , ईश्वरीय चमत्कार ,गरीबी और अशिक्षा का प्रयोग धर्मान्तरण में करता है ।। मैं आज से धर्मान्तरण में प्रयोग किये जाने वाले उन तथ्यों से आपको रूबरू कराऊंगा जिनका प्रयोग धर्मान्तरण के लिये किया जाता है , आज हम बात करेंगे महिलाओ के अधिकार की -- जब भी हम धर्म की बात करते है तो सबसे पहले एक बात सामने आती है धर्म मे महिलाओ की स्थिति क्या है ,किसी भी परिवार की सबसे अहम कड़ी है उस परिवार की महिला .... जिसे आप तोड़ लो बाकी सब टूट जाएंगे...

असली_बुद्ध_कौन ??

मित्रो बुद्ध मत वाले सिद्धार्थ गौतम को बुद्ध कहते है जबकि जैन ग्रंथो के अनुसार महावीर स्वामी और उनके शिष्य गणधर गौतम बुद्ध है इस सम्बन्ध में कुछ प्रमाण :- बुद्ध मत के बुद्ध का नाम गौतम है लेकिन जैन आदिपुराण में आया है :-"गौतमदागतो देव: स्वर्गाग्रद गौतमो मत ,तेन प्रोक्तमधीनस्त्व चासो गौतामश्रुति ""(दितीय पर्व श्लोक ५३ ) अर्थात महावीर स्वामी १६ वे स्वर्ग (मुस्लिमो के ७ आकाश की तरह जैनों में भी १६-१७ स्वर्ग होते है ) से अवतार्तीत हुए इसलिए उन्हें गौतम कहते है और गौतम की वाणी सुनने से आप का भी नाम गौतम है ,,, ... महावीर स्वामी के शिष्य गणधर बुद्ध है :- आदिनाथ पुराण में आया है :-" चतुर्भिश्रचमलेर्बोधैरबुद्धतस्व जगद यत:| प्रज्ञापारमित बुद्ध त्वा निराहुरतो बुधा: (दितीय पर्व श्लोक ५५ ) है देव आपने ४ निर्मल ज्ञानो (४ आर्य सत्य ) के द्वारा संसार को जान लिया है तथा तथा आप बूधि के पार को प्राप्त हुए इसलिए संसार आपको बुद्ध कहता है ... यहा दो बातें स्पष्ट है महावीर भी गौतम है और गणधर भी गौतम और सिद्धार्थ भी अत: तीनो बुद्ध है ... लेकिन बुद्ध की दावेदा...

इस्लाम का अर्थ

#इस्लाम -- जैसा कि कल आप सभी से पूछा था कि क्या मुझे इस्लाम पे लिखना चाहिए , सभी स्वजनों का समर्थन मिला तो वादे के मुताबिक पहली किस्त -- मुझे 1 फर्जी id बना के कोई दे दो क्योंकि इस id की कल से रिपोर्टिंग चल रही है कोई भी मुझे एक id दे दो अल्लाह के नाम पे हहहहहहह --- #आज_सबसे_पहले इस्लाम शब्द को जानते है  -- आप किसी मुस्लिम से बोलेंगे की मुझे इस्लाम का अर्थ बताओ तो वो बोलेगा इस्लाम का अर्थ होता है शांति या खुद को अल्लाह को समर्पित करना या समर्पण  , तो क्या वाकई इस्लाम का अर्थ शांति और समर्पण है आइये इसे देखते है -- लेकिन इस्लाम का वास्तविक अर्थ शांति नहीं बल्कि आत्म समर्पण है न कि समर्पण और आत्म समर्पण सिर्फ डर से किया जाता है ."Islam" does not mean "peace" but "submission"or "surender"जैसा कि कहा जाता है ("السلام" ولكن "تقديم"استسل "शांति" लेकिन "प्रस्तुत" आत्मसमर्पण ) इस्लाम शब्द अरबी के तीन अक्षरों (root sīn-lām-mīm (SLM [ س ل م ) से बना है .और कुरान में कई जगह इस्लाम का अर्थ आत्मसमर्पण ही कि...

उद्धव-गीता

  कुछ बिल्कुल हट के है जरूर  पढ़े उद्धव बचपन से ही सारथी के रूप में श्रीकृष्ण की सेवा में रहे, किन्तु उन्होंने श्री कृष्ण से कभी न तो कोई इच्छा जताई और न ही कोई वरदान माँगा। जब कृष्ण अपने *अवतार काल* को पूर्ण कर *गौलोक* जाने को तत्पर हुए, तब उन्होंने उद्धव को अपने पास बुलाया और कहा- "प्रिय उद्धव मेरे इस 'अवतार काल' में अनेक लोगों ने मुझसे वरदान प्राप्त किए, किन्तु तुमने कभी कुछ नहीं माँगा! अब कुछ माँगो, मैं तुम्हें देना चाहता हूँ। तुम्हारा भला करके, मुझे भी संतुष्टि होगी। उद्धव ने इसके बाद भी स्वयं के लिए कुछ नहीं माँगा। वे तो केवल उन शंकाओं का समाधान चाहते थे जो उनके मन में कृष्ण की शिक्षाओं, और उनके कृतित्व को, देखकर उठ रही थीं। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा- "भगवन महाभारत के घटनाक्रम में अनेक बातें मैं नहीं समझ पाया! आपके 'उपदेश' अलग रहे, जबकि 'व्यक्तिगत जीवन' कुछ अलग तरह का दिखता रहा! क्या आप मुझे इसका कारण समझाकर मेरी ज्ञान पिपासा को शांत करेंगे?" श्री कृष्ण बोले- “उद्धव मैंने कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में अर्जुन से जो कुछ ...

ब्राह्मणों के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार

#Exposed जर्मनी की लेखिका हैं मारिया विर्थ, जिन्होंने बड़ी ख़ूबसूरती से पश्चिम और भारत के "कथित विद्वानों" द्वारा भारत की जातिप्रथा और ब्राह्मणों के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार को बेनकाब किया है... पश्चिमी लेखकों द्वारा जातिप्रथा और ब्राह्मणों पर हमला क्यों? Written by:-  मारिया विर्थ पश्चिमी विचारक मारिया विर्थ का यह लेख भारत के कई क्षेत्रों में पसंद और कई में नापसंद किया जाएगा, क्योंकि इसमें उन्होंने भारत की जाति-व्यवस्था को तोड़ने तथा ब्राह्मणों पर आए दिन होने वाले वैचारिक हमलों की पूरी पोल खोल दी है. मारिया विर्थ, जो कि पश्चिमी बुद्धिजीवियों के षड्यंत्रों को अच्छे से समझती हैं, उनका कहना है कि वास्तविकता यह है कि पश्चिम के लोगों को भारत के बारे में बहुत ही कम जानकारी है. लगातार (कु)प्रचार के कारण उन्हें केवल इतना ही पता है कि भारत में जाति-व्यवस्था है, यह जाति-व्यवस्था अमानुष किस्म की है. कुछ पश्चिमी विद्वान केवल इतना भर जानते हैं कि कि जाति-व्यवस्था हिन्दू धर्म का महत्त्वपूर्ण अंग है, और ऊँची जाति वाले लोग नीची जातियों के साथ रोटी-बेटी का सम्बन्ध नहीं रखते. उन्होंने ऐ...

शिवलिंग का अर्थ

 यह  एक ऐसा विषय है जिसपे हर गैर सनातनी  निसाना साधता है पहले हम इस शिवलिंग के विषय मे जानते है फिर इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने की कोसिस करेन्गे -- #शिवलिंग_क्या  -- शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। स्कन्दपुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है।शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड ( क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है ) का अक्स/धुरी (axis) ही लिंग है। शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है नाही शुरुवात ।ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे है : ऊर्जा और प्रदार्थ । हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है। इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते है । ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा उर्जा शिवलिंग में निहित है. वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है. (The universe is a sign of Shiva Lingam.) शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-आनादी एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतिक भी अर्थात इस संसार में...

मुस्लिम से युद्ध लड़ना ना लड़ना हमारे हाथ मे नही

एक बाप अपने बेटे को कुछ समझाते हुए महाभारत का रेफरेंस दे रहा था... बेटा, Conflict को जहाँ तक हो सके, avoid करना चाहिए। महाभारत से पहले कृष्ण भी गए थे दुर्योधन के दरबार में...यह प्रस्ताव लेकर, क...

इस्लाम मे "तलाक" के तौर तरीके,,,,

इस्लाम मे "तलाक" के तौर तरीके,,,, _____________________________________ भारत का ऐतिहासिक दिन '२२ अगस्त २०१७' इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने इस्लाम मे चल रहे ट्रिपल तलाक को खारिज़ करते हुए उसे अस्वविधानिक करार दिया। पू...