आँख से अँधा दिमाग से पैदल आर्य समाज

नियोग समाज द्वारा ब्राह्मणों पर एक आरोप अक्सर लगता आया हे वो ये की पुराणों की रचना ब्राह्मणों ने की थी और उसमे मिलावट भी कर दी थी इसलिए वो पुराणों को नहीं मानते.....
अरे मूर्ख अल्पज्ञ समाजीयो जरा इस पर भी तो सोच विचार करकें देखो कि ३ युगों तक लगभग करोड़ सालो तक श्री वेद भी तो उन्हीं ब्राह्मणों और पौराणिकों के पास ही रहे हैं तो क्या ब्राह्मणों ने वेदों में परिवर्तन नहीं कर दिए होंगे ?
उन्हें कैसे शुद्ध मान लेते हो ?........


अगर पुराणों को गलत सिर्फ इसलिए कहते हो की ब्राह्मणों ने अपने स्वार्थ के लिए लिखे तो उन्ही ब्राह्मणों के पास ३ युगो से वेद भी रहे हैं उनको श्री वेदों को एकदम सही कैसे मान रहे हो ?????
 
अब कोई ये बताए कि क्या कोई दो कौडी का व्यक्ति यह तय करेगा की कौन सा धर्म ग्रन्थ सही हे कौन सा गलत ?
नियोग समाज ब्राह्मणों को बदनाम करने के तरीके बंद करें


!! जय आदि गुरु शंकराचार्य !!  

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