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Showing posts from 2018

बुद्ध

क्या बुद्ध विष्णु के अवतार थे बहुतायत से ऐसे लोगों की संख्या विश्व में व्याप्त है, जो बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं | वहीँ कई ऐसे लोग हैं, जो बुद्ध को भगवान का अवतार स्वीकार ही नहीं करते | अस्तु, प्रथम तो हम बुद्ध शब्द पर ध्यान देते हैं | बुद्ध का शाब्दिक अर्थ है, जागृत होना, सतर्क होना तथा जितेन्द्रिय होना | वस्तुतः बुद्ध एक व्यक्तिविशेष का परिचायक न होकर स्थितिविशेष का परिचायक है | वर्तमान समय में बुद्ध शब्द का व्यापक प्रयोग राजकुमार सिद्धार्थ के परिव्राजक रूप के लिए किया जाता है | हमारे धर्मग्रन्थ तथा ऋषियों ने इस सन्दर्भ में क्या कहा है, इस बात की चर्चा आज हम करेंगे | सनातन धर्म की प्रवृत्ति प्रारम्भ से ही बड़ी उदार है | हमारे यहाँ किसी भी विषय, सिद्धांत और मत पर व्यापक चर्चा एवं विमर्श का स्थान उपलब्ध है | इसीलिए हमारे धर्मशास्त्रों में एक अंग दर्शनग्रन्थ का भी है | दर्शन का अर्थ है, देखन | यहाँ दर्शन का अर्थ है, धर्म को देखने का नजरिया | आस्तिक दर्शन और नास्तिक दर्शन, दोनों की व्यवस्था हमारे यहाँ की गयी है, क्योंकि यदि अन्धकार न रहे तो प्रकाश की परवाह कौन करे ? अज्ञ...

फादरी

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जो पादरी (Priest) दिन भर लोगों को आशिर्वाद मे "God bless you, God bless you" रटते रहते हैं, क्या सही मे इनका गॉड Bless (आशिर्वाद) देता हैं? अगर पादरियों का कच्चा-चिट्ठा समझना हो तो बाइबल के पन्ने पलटते जाओ, और एक बा...

अवतार

#अवतार   --- जब भी आप अवतारों और ईश्वर के जन्म की बात करते है तो उसका विरोध करने वाले तर्क देते है कि ये सिर्फ कल्पना है जिसका होना विज्ञान नकारता है । क्योंकि डार्विनवाद के अनुसार मनुष्य का जन्म एक क्रमिक विकास का परिणाम है और कुछ अनीश्वरवादी नास्तिक जो तथाकथित स्वघोषित बुद्धिमान है इसे ही अंतिम सत्य मानते है ये लेख आज उन बुद्धिजीवियों को समर्पित है । तो आइए कुछ तथ्य रखते है -- #डार्विनवाद -- चार्ल्स डार्विन का मत था कि प्रकृति क्रमिक परिवर्तन द्वारा अपना विकास करती है. विकासवाद कहलाने वाला यही सिद्धांत आधुनिक जीवविज्ञान की नींव बना. डार्विन को इसीलिए मानव इतिहास का सबसे बड़ा वैज्ञानिक माना जाता है। #डार्विन_के_अनुसार - पौधों की तरह जीवों का भी यही हाल है, मनुष्य के पूर्वज किसी समय बंदर हुआ करते थे, पर कुछ बंदर अलग से विशेष तरह से रहने लगे और धीरे–धीरे जरूरतों के कारण उनका विकास होता गया और वो मनुष्य बन गए। इस तरह से जीवों में वातावरण और परिस्थितियों के अनुसार या अनुकूलकार्य करने के लिए 'क्रमिक परिवर्तन' तथा 'इसके फलस्वरूप नई जाति के जीवों की उत्पत्ति' को क्रम–...

हनुमान का सूर्य निगलना

---------------------------#खण्डन ---------------------------- ---------#हनुमानजीद्वारा_सूर्य_को_निगला_जाना-------- -------------------------------------------------------------------- कुछ दिन पहले ईसाइयो के एक ग्रुप में इस बात को लेकर हिन्दू धर्म का उपहास उड़ाया जा रहा था - हिन्दुओ के वैदिक ...

भारत पर इस्लामी साम्राज्य का झूठ:-

क्या भारत पर कथित आठ सौ वर्षों तक पर इस्लामी शासन था? क्या भारत मुसलमानों का गुलाम था? नहीं कभी नहीं... क्योंकि यदि आज भारत में हिंदू बहुसंख्यक बचा है तो वह मुसलमानों के सत्ता में रहते हुए कभी संभव नहीं था, कथित इस्लामी शासन के बाद बावजूद आज भी यदि हिंदू बहुसंख्यक बचा है तो इसके दो कारण ही हो सकते हैं..... एक तो यह कि मुसलमानी शासन में हिन्दुओं के प्रति शासको का व्यवहार उदार, सहानुभूति पूर्ण और भाईचारे का रहा हो - लेकिन यह तो कभी हुआ न होगा... आज हिन्दुओं के बहुसंख्यक बचे रहने का दूसरा और वास्तविक कारण कि भारत पर इस्लामी शासन था ही नहीं या भारत के बहुत कम क्षेत्रों में और बहुत कम समय के लिए रहा हो। मुस्लिम इतिहासकार ऐसा लिखते है कि इस्लाम द्वारा भारत विजय का प्रारंभ मुहम्मद बिन कासिम के 712 AD में सिंध पर आक्रमण से हुआ और महमूद गजनवी के आक्रमणों से स्थापित तथा मुहम्मद गौरी के द्वारा दिल्ली के प्रथ्वीराज चौहान को 1O92 A D में हराने से पूर्ण हुआ - फिर दिल्ली सल्तनत के गुलाम वंश खिलजी, तुगलक, सैयद और लोदी वंश के सुल्तान और मुग़ल बादशाह हिंदुस्तान के शासक बताये गए, पर यह काफी हद ...

सत्य

ऋक् मन्त्रों में इन्द्र-मरुत स्वरूप में हनुमानजी का अन्तर्भाव । *महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमित के संगी ।।* *कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल केसा ।।* *हाथ बज्र औ ध्...