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Showing posts from October, 2017

उद्धव-गीता

  कुछ बिल्कुल हट के है जरूर  पढ़े उद्धव बचपन से ही सारथी के रूप में श्रीकृष्ण की सेवा में रहे, किन्तु उन्होंने श्री कृष्ण से कभी न तो कोई इच्छा जताई और न ही कोई वरदान माँगा। जब कृष्ण अपने *अवतार काल* को पूर्ण कर *गौलोक* जाने को तत्पर हुए, तब उन्होंने उद्धव को अपने पास बुलाया और कहा- "प्रिय उद्धव मेरे इस 'अवतार काल' में अनेक लोगों ने मुझसे वरदान प्राप्त किए, किन्तु तुमने कभी कुछ नहीं माँगा! अब कुछ माँगो, मैं तुम्हें देना चाहता हूँ। तुम्हारा भला करके, मुझे भी संतुष्टि होगी। उद्धव ने इसके बाद भी स्वयं के लिए कुछ नहीं माँगा। वे तो केवल उन शंकाओं का समाधान चाहते थे जो उनके मन में कृष्ण की शिक्षाओं, और उनके कृतित्व को, देखकर उठ रही थीं। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा- "भगवन महाभारत के घटनाक्रम में अनेक बातें मैं नहीं समझ पाया! आपके 'उपदेश' अलग रहे, जबकि 'व्यक्तिगत जीवन' कुछ अलग तरह का दिखता रहा! क्या आप मुझे इसका कारण समझाकर मेरी ज्ञान पिपासा को शांत करेंगे?" श्री कृष्ण बोले- “उद्धव मैंने कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में अर्जुन से जो कुछ ...

ब्राह्मणों के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार

#Exposed जर्मनी की लेखिका हैं मारिया विर्थ, जिन्होंने बड़ी ख़ूबसूरती से पश्चिम और भारत के "कथित विद्वानों" द्वारा भारत की जातिप्रथा और ब्राह्मणों के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार को बेनकाब किया है... पश्चिमी लेखकों द्वारा जातिप्रथा और ब्राह्मणों पर हमला क्यों? Written by:-  मारिया विर्थ पश्चिमी विचारक मारिया विर्थ का यह लेख भारत के कई क्षेत्रों में पसंद और कई में नापसंद किया जाएगा, क्योंकि इसमें उन्होंने भारत की जाति-व्यवस्था को तोड़ने तथा ब्राह्मणों पर आए दिन होने वाले वैचारिक हमलों की पूरी पोल खोल दी है. मारिया विर्थ, जो कि पश्चिमी बुद्धिजीवियों के षड्यंत्रों को अच्छे से समझती हैं, उनका कहना है कि वास्तविकता यह है कि पश्चिम के लोगों को भारत के बारे में बहुत ही कम जानकारी है. लगातार (कु)प्रचार के कारण उन्हें केवल इतना ही पता है कि भारत में जाति-व्यवस्था है, यह जाति-व्यवस्था अमानुष किस्म की है. कुछ पश्चिमी विद्वान केवल इतना भर जानते हैं कि कि जाति-व्यवस्था हिन्दू धर्म का महत्त्वपूर्ण अंग है, और ऊँची जाति वाले लोग नीची जातियों के साथ रोटी-बेटी का सम्बन्ध नहीं रखते. उन्होंने ऐ...

शिवलिंग का अर्थ

 यह  एक ऐसा विषय है जिसपे हर गैर सनातनी  निसाना साधता है पहले हम इस शिवलिंग के विषय मे जानते है फिर इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने की कोसिस करेन्गे -- #शिवलिंग_क्या  -- शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। स्कन्दपुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है।शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड ( क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है ) का अक्स/धुरी (axis) ही लिंग है। शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है नाही शुरुवात ।ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे है : ऊर्जा और प्रदार्थ । हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है। इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते है । ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा उर्जा शिवलिंग में निहित है. वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है. (The universe is a sign of Shiva Lingam.) शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-आनादी एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतिक भी अर्थात इस संसार में...

मुस्लिम से युद्ध लड़ना ना लड़ना हमारे हाथ मे नही

एक बाप अपने बेटे को कुछ समझाते हुए महाभारत का रेफरेंस दे रहा था... बेटा, Conflict को जहाँ तक हो सके, avoid करना चाहिए। महाभारत से पहले कृष्ण भी गए थे दुर्योधन के दरबार में...यह प्रस्ताव लेकर, क...

इस्लाम मे "तलाक" के तौर तरीके,,,,

इस्लाम मे "तलाक" के तौर तरीके,,,, _____________________________________ भारत का ऐतिहासिक दिन '२२ अगस्त २०१७' इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने इस्लाम मे चल रहे ट्रिपल तलाक को खारिज़ करते हुए उसे अस्वविधानिक करार दिया। पू...

सनातन धर्म पर उठे कुछ सवालों के जवाब अपनी बुद्धि अनुसार उत्तर देने की कोसिस

मलनिवासी मलिन बुद्धि कुतर्कोच्छेदनः एक बार भँते सुमेधानँद महाराज बोधिसत्व रावण के दहन पर पहुँचे। खंडनः अरे रावण तो कटटर शिव भक्त था उसने शिव तांडव स्त्रोत द्वारा शिव क...