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13बी आर्यसमाज की

श्राद्धप्रक्रियाके निरूपणमें परिष्कृत एवं परिवर्धित संस्करण । कुछ शंकाओका समाधान कर रहा हूँ    शङ्का -    मृत्युभोज --- से ऊर्जा नष्ट होती है  महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि ..... मृत्युभोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है।  जिस परिवार में मृत्यु जैसी विपदा आई हो उसके साथ इस संकट की घड़ी में जरूर खडे़ हों  और तन, मन, धन से सहयोग करें   लेकिन......बारहवीं या तेरहवीं पर मृतक भोज का पुरजोर बहिष्कार करें।  महाभारत का युद्ध होने को था,  अतः श्री कृष्ण ने दुर्योधन के घर जा कर युद्ध न करने के लिए संधि करने का आग्रह किया ।  दुर्योधन द्वारा आग्रह ठुकराए जाने पर श्री कृष्ण को कष्ट हुआ और वह चल पड़े,  तो दुर्योधन द्वारा श्री कृष्ण से भोजन करने के आग्रह पर कृष्ण ने कहा कि 🍁 ’’सम्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनैः’’ अर्थात् "जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो, खाने वाले का मन प्रसन्न हो,  तभी भोजन करना चाहिए। 🍁 लेकिन जब खिलाने वाले एवं खाने वालों के दिल में दर्द हो, वेदना हो, तो ऐसी स्थिति में कदापि भोजन नहीं करन...

भक्ति मार्ग

गीता के आरम्भ में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि:- "#हतो_वा_प्राप्स्यसि_स्वर्ग_जित्वा_वा_भोक्ष्यसे_महीम्।~~(२/३७ गीता) (#अर्थात):- " देख अर्जुन अगर युद्ध करके मारा गया तो स्वर्ग जाएगा, और अगर जीत गया तो राज्य का भोग करेगा। " श्रीकृष्ण ने अर्जुन से ये क्यों कहा कि वो वीरगति को प्राप्त होने के बाद स्वर्ग जाएगा बल्कि उन्होंने ये क्यों नहीं कहा कि वो श्रीकृष्ण के धाम जाएगा ❓❓❓❓❓❓ ~श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गोलोक के बजाय स्वर्ग जाने की बात इसलिए कही क्योंकि:- "पुण्येन_पुण्यं_लोकं_नयति_पापेन_पापमुभाभ्यामेव_मनुष्यलोकम्।"~~ {- प्रश्नोपनिषद् ३.७} (#अर्थात):- " अगर हम पुण्य कर्म करेंगे, कर्म-धर्म का पालन करेंगे, तो स्वर्ग जाएंगे और पाप कर्म करेंगे तो नर्क जाएंगे यानी जितने भी कर्म-धर्म हैं उनका फल स्वर्ग ही तो है इसलिये तो श्रीकृष्ण ने कहा अर्जुन से कि वो स्वर्ग जाएगा क्षत्रिय धर्म का पालन करके " 🔹️🔸️🔹️🔸️🔹️🔸️🔹️🔸️🔹️🔸️🔹️🔸️🔹️🔸️🔹️🔸️ तो धर्म भी दो प्रकार के होते हैं- पहला धर्म होता है शरीर का जैसे मैं क्षत्राणी हूँ तो कौन क्षत्राणी...

ईशामशी की भारत यात्रा

क्या कोई बता सकता है की अपने समय की हॉलीवुड की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फ़िल्म The Vinci code को भारत में क्यों बैन कर दिया गया???? क्या कोई बता सकता है की ओशो रजनीश ने ऐसा क्या कह दिया था जिससे उदारवादी कहे जाने वाले और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ढिंढोरा पीटने वाला अमेरिका रातों-रात उनका दुश्मन हो गया था और उनको जेल में डालकर यातनायें दी गयी और जेल में उनको थैलियम नामक धीमा जहर दिया गया जिससे उनकी बाद में मृत्यु हो गयी????? क्यों वैटिकन का पोप बेनेडिक्ट उनका दुश्मन हो गया और पोप ने उनको जेल में प्रताड़ित किया? दरअसल इस सब के पीछे ईसाइयत का वो बड़ा झूठ है जिसके खुलते ही पूरी ईसाईयत भरभरा के गिर जायेगी। और वो झूठ है प्रभु इसा मसीह के 13 वर्ष से 30 वर्ष के बीच के गायब 17 वर्षों का, आखिर क्यों इसा मसीह की कथित रचना बाइबिल में उनके जीवन के इन 17 वर्षों का कोई ब्यौरा नहीं है? ईसाई मान्यता के अनुसार सूली पर लटका कर मार दिए जाने के बाद इसा मसीह फिर जिन्दा हो गया था। तो अगर जिन्दा हो गए थे तो वो फिर कहाँ गए इसका भी कोई अता-पता बाइबिल में नहीं है। ओशो ने अपने प्रवचन में ईसा के इसी अज्ञात जीवनकाल क...

योगेश्वर श्री कृष्ण की 16108 पत्नी

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दुष्प्रचार ये किया जाता है कि भगवान कृष्ण की एक ही पत्नी माता रुक्मणी थी। पौराणिक पंडो ने पुराणों में उनकी १६१०८ पत्नियां बताई है। महाभारत में ऐसा नही हैं। महाभारत वाले कृष्ण और पौराणिक कृष्ण भिन्न है। 1-चलो देखते है- पहला और दूसरा चित्र महाभारत सभापर्व अध्याय ३८ का है। जिसमे नरका सुर की कैद से छुड़ाई गयी १६१०० कन्याओं की बात स्पष्ट लिखी हैं। वो कन्याये गंधर्व विवाह के द्वारा भगवान कृष्ण से विवाह की बात करती है क्योंकि नारद जी का एक वचन था। भगवान कृष्ण उन सभी १६१०० कन्याओं को द्वारिका भेजते हैं। ये सोलह हजार एक सौ कन्याओं की बात आपको मौसल पर्व अध्याय पांच में भी दिखेगी। (चित्र ६)मे देखे। 2-अब आते है भगवान कृष्ण की 8 मुख्य पटरानियों के बारे में। महाभारत सभापर्व अध्याय ३८( चित्र ३-४) में देखे  क्रम से नाम- ऐसे हैं। १-रुक्मणि २-सत्यभामा ३-जामवंती ४-सुकेशी ५-सुप्रभा ६-लक्ष्मणा ७-मित्रविन्दा ८-सुदत्ता देवी 3- फेसबुक पटल पर सौप्तिक पर्व अध्याय १२ श्लोक ३१ और ३२ को बहुत घुमाया जा रहा। जिसमे भगवान कृष्ण अश्वत्थामा से कहते है कि मैंने १२ वर्ष क...

मोक्ष

तो भई थोड़ा-सा ज्ञान मार्ग के बारे में भी जान लीजिए आप। देखिए, वेद ने तीन मार्ग बताएँ हैं- कर्म, ज्ञान, भक्ति। जितने भी कर्म-धर्म हैं उन सबका फल स्वर्ग ही तो है बस । ज्ञान मार्ग का फल मोक्ष है और भक्ति मार्ग का तो जानते ही हैं आप - भगवान❤ प्रथम :- ये जो ज्ञान मार्ग है ना , इसका अधिकारी मिलना ही दुर्लभ है , अधिकारी अगर मिल भी जाये तो वो मोक्ष प्राप्त कर ले ये तो और भी कठिन है। ज्ञान मार्ग का साधक होने के लिए ये सब 4 सम्पत्ति अत्यंत आवश्यक हैं 👇🏻👇🏻👇🏻 {{१. विवेक, २. वैराग्य, ३. शमादि षट्सम्पत्ति (शम, दम, श्रद्धा, उपरति, तितिक्षा और समाधान), ४. मुमुक्षुत्व}} •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• दूसरी समस्या ये है कि :- ज्ञान मार्ग में निराकार ब्रह्म की उपासना होती है। अब निराकार ब्रह्म का तो कोई स्वरुप होता नहीं इसलिये:- ""कहत_कठिन_समुझत_कठिन_साधत_कठिन_बिबेक।"" :- रामचरितमानस अर्थात- " ज्ञानी को ब्रह्म के बारे में बताना ही कठिन है फिर उसे समझना तो और ही अधिक कठिन है " इसके बाद ज्ञानी की क्लास गुरु शुरू करेगा( श्रवण) उसको वेदांत सूत्र का पहला सूत्र पढ...

स्वर्ग नर्क की सच्चाई

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#पाप_करने_के_बावजूद_भी_दुर्योधन_को_स्वर्ग_क्यों_मिला?? क्यों पाप करने के बाद भी दुर्योधन को स्वर्ग मिला? इसका जवाब थोड़ा आध्यात्मिक है और स्पष्ट भी , कि दुर्योधन ही नहीं जितने भी कौरव थे एवं उनकी जितनी भी सैना थी उन सभी को स्वर्ग मिला , कारण था श्री 'कृष्ण' जिन जिन लोगों ने कृष्ण के विराट स्वरूप का दर्शन किया था ( दुर्योधन की सभा में जब कृष्ण ने अपना विराट रूप प्रकट किया उस समय दुर्योधन ने कहा था ये तो जादूगर है ) उन सभी को ईश्वर का साक्षात्कार हुआ तथा उसी समय वे सभी समस्त पापों से मुक्त हो गये और मरणोपरांत स्वर्ग प्राप्त किया । इसका एक और पहलू है , आपने सुना होगा कि युद्ध का पूरा दृश्य देखने वाले श्याम बाबा ( बर्बरीक जो हिडिंबा और भीम के पुत्र गटोतगच्छ के पुत्र थे जिन्हें महाभारत के प्रारंभ में ही कृष्ण ने मार दिया था , चूंकि वे कौरवों का साथ देने के लिये तत्पर थे,तथा वे अत्यंत शक्तिशाली भी थे पर उनकी इच्छा थी कि उनका उद्धार कृष्ण के हाथों ही हो तो जब कृष्ण ने उन्हें मारा तब बर्बरीक ने अपनी इच्छा प्रकट की , कि वो पूरा युद्ध देखकर ही मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं , इ...

दयानद पाखंड 2

काशी में हुऐ कुछ ऐतिहासिक शास्त्रार्थ :~> प्राचीनकाल से ही काशी में प्रतिदिन शास्त्रसभा का आयोजन होता था।सभा में विराजमान शास्त्रमहारथी पहले शास्त्रार्थ करते थे तत्पश्चात् दक्षिणा ग्रहण करते थे।नागपञ्चमी के दिन काशी के नागकुआँ पर शास्त्रज्ञों तथा छात्रों में शास्त्रार्थ करने की परम्परा वर्तमान में भी है। वर्तमान में भी विवाह के अवसर पर कन्या और वर पक्ष के विद्वान् परस्पर विविधोपयोगी प्रमेयों पर शास्त्रार्थ करते हैं।अब इस परम्परा का ह्रास होने लगा है।काशी चूँकि व्याकरणशास्त्र के अध्ययन की अध्ययनस्थली तथा महर्षि पतञ्जलि की कर्मस्थली होने का कारण शास्त्रविषयक उहापोह के लिए पुरातनकाल से ही जानी जाती है। विद्वानों की क्रीडास्थली काशी में वर्षों से ऐतिहासिक शास्त्रार्थ सम्पन्न हुऐ है।कुछेक शास्त्रार्थों को लिपिबद्ध भी किया गया है परन्तु अधिकांश प्रसिद्ध शास्त्रार्थों को लिपिबद्ध ही नही किया गया है। 'वैयाकरण केशरी महामहोपाध्याय पण्डित दामोदर शास्त्री' तथा मैथिल विद्वत्वरेण्य 'पण्डित बच्चा झा' के मध्य जो अद्भुत् शास्त्रार्थ हुआ था उस अद्वितीय शास्त्रार्थ ने इतिहास में स्था...