Dayand antarvasna

जिन भड़वे समाजियों का उद्देश्य सनातन धर्म ग्रंथों के उदाहरणों को गलत संदर्भ में प्रस्तुत करते हुए- धर्म के न जानने वालों के बीच भ्रम का भाव उत्पन्न कर उन्हें धर्म के मार्ग से विमुख करना है सनातनधर्मियों को अपमानित करना व उन्हें नीचा दिखाना, धर्म विरोधीयों की सहायता करना आदि हैं, उनके लिए सप्रेम -------------- (दयानंद कृत यजुर्वेदभाष्य, भाष्य-१) पूषणं वनिष्ठुनान्धाहीन्स्थूलगुदया सर्पान्गुदाभिर्विह्लुत आन्त्रैरपो वस्तिना वृषणमाण्डाभ्यां वाजिनग्वगं शेपेन प्रजाग्वं रेतसा चाषान् पित्तेन प्रदरान् पायुना कूश्माञ्छकपिण्डैः॥ ~यजुर्वेद {अध्याय २५, मंत्र ७} दयानंद अपने यजुर्वेदभाष्य में इस मंत्र का अर्थ यह लिखते हैं कि--- हे मनुष्यों! तुम मांगने से पुष्टि करने वालों को स्थूल गुदेंद्रियों के साथ वर्तमान, अंधे सर्पों को गुदेंद्रियों के साथ वर्तमान विशेष कुटिल सर्पों को आंतों से, जलों को नाभि के नीचे के भाग से, अंडकोष को आंडों से, घोडे के लिंग और वीर्य से संतान को, पित्त से भोजनों को, पेट के अंगो को गुदेंद्रिय और शक्तियों से शिखावटों को निरंतर लेओं। समीक्षक-- ...