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Showing posts from April, 2020

योगेश्वर श्री कृष्ण

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पौराणिक श्रीकृष्ण और योगेश्वर । हमारे आर्य समाजी बन्धु प्रायः आरोप लगाते हैं , कि पुराणोंमें श्रीकृष्णका चरित्र बिगाड़ दिया है, महाभारत के श्रीकृष्ण योगिराज हैं , ब्रह्मचारी-तपस्वी और एक पत्नीव्रती हैं । क्या यह आरोप युक्तिसङ्गत है ? चलिये इसी पर स्वस्थ्य चर्चा करते हैं । सच्चिदानन्द स्वरूप भगवान् श्रीकृष्ण को महाभारत और पुराणों में योगेश्वर स्वरूप से सर्वत्र वर्णन मिलता ही है , अर्थात् योगियोंके भी ईश्वर , लेकिन योगीराज शब्द तो कहीं भी नहीं मिला । यदि श्रीकृष्ण को योगेश्वर कहेंगे तो श्रीकृष्ण ईश्वर सिद्ध हो जाएंगे , जो कि ये लोग कभी स्वीकार नहीं कर सकते इसीलिए श्रीकृष्णके लिये  काल्पनिक योगीराज शब्द विकसित किया । चलिये हमे कोई आपत्ति नहीं ,हम स्वीकार कर लेते हैं श्रीकृष्ण योगिराज (सर्वश्रेष्ठ मनुष्य) हैं । आधुनिक समाजी  विद्वान योग का अर्थ केवल बाबा रामदेव द्वारा कराया जाने वाले व्यायाम ही समझते हैं और जिसने थोडा बहुत अध्ययन कर लिया है वो योग का अर्थ 'योगश्चित्तवृत्तिनिरोध: '(योगदर्शन १/२) और  'यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टाङ्गानि ।।'(योगदर्शन ...

पंचाली रहस्य

#द्रोपदी_रहस्य बिना पढ़े पोस्ट को लाइक और कॉमेंट्स न करे  ------------------------------------------------------------ धर्मस्य_सूक्ष्मतवाद्_गतिं (महाभारत )  धर्म की गति अति सूक्ष्म है अतः हम जैसे अल्पज्ञ अल्पश्रुत पूर्णतः धर्म बिषयो के गूढ़ रहस्य को समझ पाने में अक्षम है बस हम अपनी बुद्धि बल से ही बिषयो का अन्वेषण करते फिरते है   धर्म के गूढ़ रहस्यों के बिषय में पूर्णप्रज्ञ मनीषी जन ही समझ सकते है  ठीक ऐसा ही रहस्य यज्ञशेनी द्रोपदी का है ।  द्रोपदी अयोनिज है जिस कारण उनका जीवन भी  दिब्य और रहस्यपूर्ण है क्यो की उनका आविर्भाव  यज्ञवेदी से हुआ है जिस कारण उनका एक नाम यज्ञशेनी भी हुआ । #कुमारी_चापि_पाञ्चाली_वेदिमध्यात्समुत्थिता। (महाभारत आदिपर्व) जिनका जन्म ही यज्ञवेदी से हुआ हो उनकी पवित्रता पर सन्देह नही किया जा सकता । राजा द्रुपद की कन्या होने से उनका एक नाम द्रौपदी भी पड़ा  साथ ही द्रुपद पाञ्चाल देश का राजा था जिस कारण द्रौपदी का एक नाम पाञ्चाली भी पड़ा ।  द्रौपदी इंद्र की ही पत्नी शचीपति थी  #शक्रस्यैकस्य_सा_पत्नी_कृष्णा_नान्यस्य_कस्यच...

#क्या_हनुमान_जी_लंका_उडकर_ग‌ए_थे ?

 #हनुमान जी को लेकर के बहुत सारी अवधारणाएं समाज में प्रचलित है कि कोई कहता है वे उडकर गए थे कोई कहता है कि नहीं ग‌ए थे । वास्तव में हम नहीं कह सकते यह इतिहास का विषय है कि वह उडकर कर गए थे या नहीं गए लेकिन इस विषय पर हम ध्यान दें कि क्या कोई व्यक्ति उड़ सकता है या नहीं ? तो हां कोई व्यक्ति उड़ सकता है इसकी संभावना पूरी पूरी है यह मैं नहीं कह रहा है यह हमारे #आर्ष ग्रंथ योग दर्शन में महर्षि पतंजलि ने सिद्धियों का वर्णन किया है और हम इस ग्रंथ को प्रमाणिक भी मानते हैं । जो व्यक्ति हठ और दुराग्रह से मुक्त है वह ऋषियों के इस दिव्य संदेश को सहज ही स्वीकार करेगा । हमको ऐसा लगता है कि इस कार्य को हम नहीं कर सकते तो कोई भी नहीं कर सकता । और हम एक बात बहुत शीघ्रता से कह देते हैं कि यह चीज तो सृष्टि नियम के विरुद्ध है तो क्या वास्तव में हमने सृष्टि के समस्त नियमों को जान लिया है? सत्व रज और तम किस प्रकार से कार्य करते हैं और उनकी कितनी अपार क्षमताएं है क्या इसका हमने साक्षात्कार कर लिया है ? हम हर उस चीज को प्रक्षिप्त कह देते हैं जो हमारी सीमाओं से परे है ? जब रिमोट से डीवी...