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अहिल्या सच

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।। इंद्र अहिल्या प्रसङ्ग आक्षेप और शास्त्र सम्मत खंडन ।। शंकावादी कहते हैं कि 'देवराज इन्द्र ने गौतम कि धर्मपत्नी अहल्या के साथ छुपकर सम्भोग किया। इस  दुराचार के देखने पर गौतम ने इन्द्र को 'सहस्रभग' हो जाने का और अहल्या को पाषाणभूत हो जाने का शाप दिया, यह कथा अत्यन्त अश्लील एवं देवराज के दुराचार से परिपूर्ण है-' इत्यादि । हम सर्वप्रथम इसका वैदिक-स्वरूप प्रकट करते हैं फिर पौराणिक स्वरूप फिर व्याख्या ।  #वैदिक_स्वरूप  १) इन्द्रो मायाभिः पुरुरूप ईयते । (ऋग्वेद ६।४७१८) २)अहल्याया ह, मैत्रेय्याः (इन्द्रः) जार आस। ( षड्विंश १।१) ३) अहल्याय जारेति । (शतपय ३ । ३ । ४ । १८) ४) सहस्राक्षमतिपश्यं पुरस्तात् । (अथर्व ११ । २ । १७ ) ५) अहल्यायै जारेति । (षड्विंश १ । १) ६) अहल्यायै जारेति । ( लाट्यायन श्रौतसूत्र १ । ३ ॥१) ७) (इन्द्र !) अहल्यायै जारेति । (तं० १ । १२ । ४ ) अर्थात् : इन्द्र माया से अनेक रूप बनाकर चलता है ,इन्द्र मैत्रेयी अहल्या का जार था।गौतम के शापानुग्रह करने पर ] पूर्व दिशा का स्वामी इन्द्र सहस्राक्ष हो जाने के कारण अतिपश्य =क्रान्तदर्शी हुआ, इन्द्र अहल्या क...

आर्यनामाजी नियोग ऋषि

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माता सीता कि अग्नि परीक्षा पर आक्षेप और रहस्यों को न जानने के कारण नमाजियो का इस प्रसङ्ग को तोड़ मोड़ कर बताना ,इस पर हमारा शास्त्र सम्मत खंडन और वैज्ञानिक विश्लेषण :~~~~~~~~~ चूंकि यह एक धर्मी विषय है अतः इसके लिए भगवान मनु ने कुछ निर्देश दिया है कि धर्म के विषय मे जब जिज्ञासा हो तो प्रामाण क्या होता है तो कहा "धर्म जिज्ञासा में श्रुति परम प्रमाण है " । '#धर्म_जिज्ञासमानानां_प्रमाणं_परमं_श्रुति:' (मनु.२.१३.)  अतः हम इस घटना का समर्थ वेद से करवाना उचित समझते हैं वेद भगवान ने इस घटना के बारे में कहा कि ।  #सुप्रकेतैर्युभिरग्निवितिष्ठन्नुषद्भिर्वर्णैरभिराममस्थात् । ( साम उत्तरार्चिक १५ । २ । १ । ३) अर्थ-सुन्दर चिन्हों से और दीप्तिमान् वर्णों से उपलक्षित धुलोक की साधनभूत, रामपत्नी सीता सहित अग्निदेव रामचन्द्र के सम्मुख उपस्थित हुये ।  राम चरित मानस में तुलसीदास ने एक बहुत हि सुंदर बात कही है "अनेक पुराण, वेद और [तन्त्र] शास्त्रसे सम्मत तथा जो रामायणमें वर्णित है और कुछ अन्यत्र से भी उपलब्ध श्रीरघुनाथजी की कथाको तुलसीदास अपने अन्त:करणके सुखके लिये अत्यन्त मनोहर भाषा रच...